साइकोपैथ और ममी
कभी यह बंगला आबाद हुआ करता था, अब वीरान पड़ा रहता है। घर की ऊँची-ऊँची दीवारें, एक बूढ़ा नौकर रामदीन और सायं-सायं करता बाहर का ये उजाड़ जंगल और कुछ नहीं है यहाँ ऐसा जिसके बारे में बात की जाए। हाँ याद आया यहाँ पर रोशन बाबा भी तो हैं जो हर शनिवार यहाँ आते हैं और मरते हुए बंगले में थोड़ी जान डाल जाते हैं।
रामदीन मैं कुछ देर अकेले रहना चाहता हूँ, मुझे डिस्टर्ब मत करना। तुम चाहो तो जाकर आराम कर सकते हो।
जी रोशन बाबा, कुछ चाहिए हो तो घँटी बजा दीजिएगा मैं आ जाऊंगा।
रोशन अपने माता-पिता के कमरे में आराम कुर्सी पर बैठा हुआ होता है और उनकी तस्वीर की तरफ टकटकी लगाए देख रहा होता है और बातें कर रहा होता है…..मम्मी- पापा आप कैसे हो?
मैं आपसे बहुत नाराज़ हूँ आप लोग मुझे छोड़कर इतनी जल्दी क्यों चले गए? मैं बहुत अकेला हो गया हूँ आपके बिना। मेरा कोई दोस्त नहीं है, सारे लड़के-लड़कियाँ मेरे मोटापे का और काले रंग का मजाक उड़ाते हैं। कितनी कोशिश कर रहा हूँ वज़न कम करने की लेकिन कुछ फर्क ही नहीं पड़ रहा है। कभी-कभी सोचता हूँ वजन कम हो भी गया तो क्या, काले रंग से तो छुटकारा नहीं मिल पायेगा ना मुझे?
क्या कभी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बन पायेगी, क्या कभी कोई लड़की मेरे करीब नहीं आएगी?…..
रोशन की आंखें गुस्से से भर जाती हैं……और वो ज़ोर से मेज पर हाथ मारता है, मम्मी पापा की फोटो नीचे गिरने वाली होती है, तभी वो हाथ से पकड़ लेता है और कहता है …. मेरी इस हालत के जिम्मेदार आप लोग हैं। ना पापा आप मोटे होते और ना मम्मी तवे से भी ज्यादा काली होती तो आज मैं कुछ और ही होता।
रोशन की आँखे भीग जाती हैं, उसके चेहरे के भाव सख्त से नरम हो जाते हैं ….सॉरी मम्मी मैंने आपको काला कहा, सॉरी पापा मैंने आपको मोटा कहा और फिर वो हँसने लगता है।
रामदीन अपने कमरे से रोशन के हँसने की आवाज़ सुनता है और मन ही मन सोचता है रोशन बाबा शायद मालिक-मालकिन की मौत के बाद से पागल से हो गए हैं, जब देखो उनके कमरे में जाकर उनकी फोटो से बातें करते हैं और जोर-जोर से हँसते हैं। खैर मुझे क्या कुछ दिन बचे हैं बुढ़ापे के, यहीं चुपचाप रहकर खमोशी से काट लूंगा।
रोशन इतवार शाम को अपने कॉलेज हॉस्टल के लिए निकल जाता है जो उसके घर से 2 घँटे की दूरी पर होता है। रोज की अपेक्षा कॉलेज में आज ज्यादा गहमा गहमी होती है। एक नयी लड़की का एडमिशन हुआ होता है बी.ए हिस्ट्री ऑनर्स फर्स्ट ईयर में, वो भी साल के बीच में, सब जगह उसी की चर्चा होती है। सुनने में आता है कि वो कॉलेज के ट्रस्टी दिनेश कदम के रिश्तेदार की बेटी रूपाली कदम है। पूरे कॉलेज में उसकी सुंदरता के चर्चे होते हैं।
सुमित सर हिस्ट्री पढ़ा रहे होते हैं, लेक्चर शुरू किये 10 मिनट बीत चुके होते है तभी रूपाली की एंट्री होती है क्लास में…..सफ़ेद रंग की फूलों वाली लॉन्ग स्कर्ट और उस पर हल्की गुलाबी कुर्ती पहने हुए, गले में प्रिंटेड स्टोल, हाथों में सिल्वर कलर की मैटल की चूड़ियां और कान में छोटी-छोटी झुमकियाँ और उस पर गोरा रंग। क्लास में सबका मुँह खुला का खुला रह जाता है, खुद सुमित सर का भी।
वो सॉरी सर कहकर क्लास में आ जाती है और सर उसे कुछ नहीं कहते। आगे एक सीट खाली होती है वरुण के साथ वाली लेकिन वो मेरी सीट पर आकर मेरे साथ बैठ जाती है। मैं तो ख़ुशी के मारे सातवें आसमान पर चढ़ जाता हूँ। क्लास खत्म होने के बाद वो मुझसे कहती है….हाय मेरा नाम रूपाली है और आपका? इससे पहले मैं कुछ जवाब देता वरुण कहता है….इसका नाम कालिया है और फिर सब हँसने लग जाते हैं।
रूपाली फिर पूछती है…..आपका नाम?
जी……हड़बड़ाते हुए … मेरा नाम रोशन है।
मैं इस कॉलेज में नयी-नयी हूँ….क्या आप मेरे दोस्त बनोगे रोशन?
अपनी खुशी भीतर ही दबाकर संजीदगी से जवाब देता हूँ….हाँ क्यों नहीं।
हम रोज़ क्लास में साथ बैठने लगते हैं, कैंटीन में भी साथ जाने लगते हैं। रूपाली मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन जाती है और मैं मन ही मन उसे प्यार करने लगता हूँ। एक दिन रूपाली कहती है….रोशन क्या तुम मेरी नोट्स बनाने में मदद कर सकते हो, मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा।
रूपाली तुम्हें अलग से नोट्स बनाने की क्या जरूरत है? मैं तुम्हें अपने नोट्स दे दूंगा, तुम चिल करो। रूपाली मुझे अचानक से गले लग लेती है और बार-बार थैंक यू रोशन बोलने लगती है।
रूपाली के छूते ही मेरे पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती है और मेरा मन तेजी से उछलने लगता है। जहाँ कोई लड़की मुझसे बात करने को तैयार नहीं होती थी वहीँ आज कॉलेज की सबसे सुंदर लड़की ने मुझे गले से लगाया था। मैं तो हवा में उड़ने लगा था।
मैं रूपाली के लिए जान देने को भी तैयार था और जान लेने को भी।
कुछ दिनों बाद वैलेंटाइन डे था, मुझे लगा यह अच्छा मौका है अपने दिल की बात रूपाली को बताने का।
मैं उसके लिए फूल और चॉकलेट्स लेकर गया वैलेंटाइन डे पर। वो हमेशा की तरह खूबसूरत लग रही थी, आज उसने गहरे लाल रंग का ड्रेस पहना था। इस कारण वो और भी गोरी लग रही थी।
रूपाली हैप्पी वैलेंटाइन्स डे…..यह फूल और चॉकलेट्स तुम्हारे लिए।
हैप्पी वैलेंटाइन्स डे तुम्हें भी रोशन।
रूपाली मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ…..रूपाली का ध्यान अपने मोबाइल पर होता है।
रूपाली सुनो ना प्लीज…..हाँ-हाँ मैं सुन रही हूँ तुम कहो ना?
नहीं रूपाली अपना मोबाइल साइड में रखो पहले।
ओके ठीक है, कहो….
आई लव यू रूपाली। मुझे तुमसे प्यार हो गया है। क्या तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बनोगी?
रूपाली सकपका जाती है….. सॉरी रोशन मेरा पहले से ही बॉयफ्रेंड है। तुम सिर्फ मेरे अच्छे दोस्त हो, प्यार मैं सौरभ से करती हूँ।
सौरभ कौन है? वो थर्ड ईयर में ह अपने ही कॉलेज में ....वो देखो सामने से आ रहा है।
सौरभ देखने में बहुत हैंडसम था।
हाय रूपाली….हैलो सौरभ।
ये रोशन है….मेरा सबसे अच्छा दोस्त।
सौरभ मुझे ऊपर से नीचे देखता है और नकली।मुस्कुराहट के साथ हाय बोलता है और रूपाली से कहता है….चलो रूपाली मूवी के लिए देर हो रही है।
दोनों बाय कहकर चले जाते हैं और जाते-जाते सौरभ की आवाज पड़ती है कानों में….. तुम्हें यही मिला था दोस्त बनाने के लिए और वो हँसने लग जाता है।
मुझे अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा आता है और मैं घर चला जाता हूँ।
इस शहर से अच्छा तो मेरा वीराना है, जहाँ कम से कम कोई मुझ पर हँसता तो नहीं है। रूपाली तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है। तुमने मुझे अच्छा बेवक़ूफ़ बनाया, नोट्स मुझसे बनवाती रही और प्यार किसी और से।
घर पहुंचते ही…..रामदीन, रामदीन कहाँ हो तुम?
रामदीन खाँसते-खाँसते…. आया रोशन बाबा।
जल्दी से एक ब्लैक कॉफी बनाकर लाओ, मैं मम्मी-पापा के कमरे में हूँ।
रामदीन फटाफट कॉफी बनाकर कमरे में दे आता है और वापिस अपने कमरे में चला जाता है। वो अपने कमरे से तब तक बाहर नहीं निकलता था जब तक रोशन घँटी बजाकर उसे बुलाये ना।
रोशन गर्म-गर्म कॉफी अपने माता-पिता की फोटो पर उड़ेल देता है। कैसा लग रहा है आपको, मज़ा आया?
मम्मी मैं रूपाली से बहुत प्यार करता हूँ और उसे अपना बनाकर ही रहूँगा चाहे जिन्दा या मुर्दा। उसने मुझे धोखा दिया है, चाहे जो भी हो जाए उसे तो मैं हासिल करके रहूँगा। रोशन फर्श पर लेट जाता है और कहता है….पापा, मम्मी आप कैसे हो? आपको कोई तकलीफ तो नहीं ना नीचे? बहुत दिनों से मैं मिलने नहीं आया ना आपसे नीचे लेकिन मैं जल्दी आऊंगा आपसे मिलने आपकी बहू रूपाली को लेकर।
दो दिन बाद कॉलेज में…..
आज क्लास में क्यों नहीं आए तुम रोशन? कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा तुम्हें और तुम यहाँ लाइब्रेरी में बैठे हो….देखूं तो ज़रा क्या पढ़ रहे हो?
ओह हो तुम तो इजिप्ट की ममी के बारे में पढ़ रहे हो। मुझे तो डर लगता है ममीज के नाम से भी।
सुनो ना रूपाली इसमें कितनी अच्छी कहानी लिखी है….नहीं रोशन मुझे डर लगता है।
ओह हो प्लीज रूपाली….अच्छा ठीक है सुनाओ।
इस कहानी में राजा अपनी पत्नी से इतना प्यार करता होता है कि उसके मरने के बाद वो उसकी लाश को ममी में तब्दील कर देता है और उसे अपने कमरे में संभाल कर रखता है और उसके साथ पूरी जिंदगी बिता देता है।
छी कितनी बेकार कहानी है, सायको होगा वो राजा जरूर।
चलो कैंटीन में चल कर कॉफ़ी पीते हैं।
रूपाली कल मेरा जन्मदिन है…. क्या तुम मेरे साथ चलोगी मेरे घर एक दोस्त की हैसियत से। मेरा कोई दोस्त नहीं है, ना भाई-बहन है। बस मम्मी पापा हैं, उन्हें तुम्हें मेरे साथ देखकर अच्छा लगेगा कि चलो कोई तो दोस्त बना उनके बेटे का।
रूपाली सोचने लगी…...
ठीक है रूपाली रहने दो तुम्हें नहीं आना तो मैं अकेले ही मना लूंगा अपने माँ-बाप के साथ अपना जन्मदिन, वैसे भी शुरू से अकेला ही तो मनाता आया हूँ।
मुझे नाराज़ होते देख रूपाली मान गयी। मेरा इमोशनल कार्ड काम कर गया था।
अगली सुबह रूपाली और मैं घर पहुँच गए।
रोशन तुम्हारा घर इतनी सुनसान जगह पर क्यों है? आसपास बस यह सूखी जंगली झाड़ियाँ। यह तो भूत वाली फिल्मों की पुरानी हवेली टाइप लग रहा है।
क्या करें, मम्मी पापा को भीड़ भाड़ पसन्द नहीं है। लोगों के बीच रहो तो उन्हें और मुझे ताने सुनने पड़ते थे रोज-रोज मेरी शारीरिक संरचना को लेकर लेकिन यहाँ हमें बातें सुनाने वाला कोई नहीं है, यहाँ हम सुकून से हैं।
रूपाली को यह सब अजीब लग रहा था। एक अजीब सी मनहूसियत, उदासी सी थी माहौल में।
चलो रूपाली अंदर चलते हैं।
रामदीन पानी लेकर आता है और रूपाली को टकटकी लगाकर देखने लगता है।
रूपाली को रामदीन भी किसी भूतिया हवेली के चौकीदार जैसा लगता है….लंबे सफ़ेद बाल और दाढ़ी, मोटी-मोटी आँखें बाहर की तरफ निकली हुई।
रूपाली रोशन से पूछती है तुम्हारे मम्मी पापा कहाँ है नजर नहीं आ रहे?
इतने में रामदीन बोल पड़ता है मालिक मालकिन को तो……
तभी रोशन टोक देता है वो दोनों बाज़ार गए होंगे शायद, क्यों रामदीन यही कह रहे थे ना?
रामदीन सिर झुकाकर…..जी रोशन बाबा।
रामलाल दो ब्लैक कॉफी बनाकर ले आना और जब तक घँटी ना बजे……समझ गया रोशन बाबा
चलो रूपाली तुम्हें अपना कमरा दिखाता हूँ। रोशन के कमरे में सब सामान बहुत सलीके से रखा हुआ होता है।
बड़ा सलीके से रखा हुआ है तुमने अपना कमरा रोशन, मैं तो फैलाकर रखती हूँ।
तभी रामलाल कॉफी ले आता है, रूपाली रोशन की किताबों का कलेक्शन देखने में व्यस्त होती है। अरे यह क्या सब किताबें ममीज के बारे में है…
हाँ तुम देखो ना किताबें एक मिनट…
रामदीन ज़रा ये सामान ले आओ मार्किट से जाकर, आराम से आना। रामदीन समझ जाता हैं लेकिन वो कुछ बोलता नहीं।
रोशन कॉफ़ी में ड्रग्स मिला देता है चुपके से।
लो रूपाली कॉफ़ी पियो। यम्म…..बढ़िया कॉफी है। तुम्हारे मम्मी पापा आये क्यों नहीं अभी तक?
वो आ गए होंगे चलो आओ तुम्हें उनसे मिलवाता हूँ।
रोशन रूपाली को बेसमेंट में ले जाता है।
यह कहाँ ले जा रहे हो तुम मुझे…
मम्मी पापा से मिलवाने…..
बेसमेंट में एक अजीब सी दुर्गंध आ रही होती है मसालों की और केमिकल की।
यह कैसी बदबू आ रही है रोशन, यहाँ तो कोई नहीं है? ओह रोशन मेरी आँखें बंद हो रही है। रोशन शीशे वाली अलमारी के पास ले जाता है रूपाली को पकड़कर, उसे ठीक से कुछ समझ नहीं आ रहा होता, वो लड़खड़ा रही होती है।
रूपाली इनसे मिलो ये मेरे मम्मी पापा हैं, रूपाली चिल्लाती है ये तो ममीज हैं और वो बेहोश हो जाती है।
मम्मी-पापा देखो मैं आपकी बहु को आपके पास ले आया हूँ, अब यह भी आपके साथ रहेगी और जोर से हँसने लगता है।
आओ रूपाली अपने कमरे में चले, वो रूपाली को उठाकर कमरे में ले जाता है और बिस्तर पर लेटा देता है। रूपाली को यह एहसास होता है कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है लेकिन हैवी ड्रग्स की डोज़ के कारण वो कुछ बोल नहीं पा रही होती है ठीक से, ना वो उसे रोक पा रही होती है। बस हल्की-हल्की आवाज सुनाई दे रही होती है रूपाली के मुँह से …..छोड़ दो मुझे, छोड़ दो और वो गहरी नींद में चली जाती है।
रोशन रूपाली के सीने पर सिर रखकर सो जाता है। कुछ घन्टे बाद उसे रूपाली का शरीर अकड़ा हुआ और ठंडा महसूस होता है। वो समझ जाता है रूपाली मर चुकी है।
वो वापिस अपने कमरे में जाता है और रामदीन को खाना लाने के लिए कहता है ताकि रामदीन को शक ना हो।
खाने की दोनों प्लेट्स वापिस देकर वो रामदीन को कहता है कि वो सुबह-सुबह उसके उठने से पहले ही निकल जायेगा रूपाली को लेकर, उसे उनके लिए अपनी नींद खराब करने की जरूरत नहीं है।
रूपाली के हिस्से का खाना रोशन पीछे की खिड़की से नीचे फेंक देता है।
वो कमरे में आता है और रूपाली की लाश से बातें करने लगता है ….तुम्हें मैं मरने के बाद भी जिन्दा रखूँगा रूपाली ठीक उस इजिप्ट के राजा की तरह। मेरे मम्मी पापा के साथ अब तुम भी यहाँ रहोगी। देखो हमारा परिवार पूरा हो गया। वो रूपाली की लाश के साथ फिर से दुष्कर्म करता है और उसके साथ सो जाता है।
अगली सुबह वो रामदीन के उठने से पहले कॉलेज के लिए निकल जाता है और 10 दिन की छुट्टी की एप्लीकेशन दे देता है कि वो छुट्टी मनाने बाहर जा रहा है।
उस दिन वो सारा दिन कॉलेज में ही रहता है फिर कॉलेज ख़त्म होने पर फिर से घर वापिस चला जाता है।
वो बेसमेंट में बने कमरे में जाता है और रूपाली की लाश को गले से लगाता है और कहता है....देखो मैं कितनी जल्दी लौट आया तुम्हारे साथ वक्त बिताने के लिए।
रूपाली की लाश कहीं खराब ना हो जाये इसलिये वो
उसकी लाश से अंदरूनी अंग निकाल देता है, सिर्फ उसका दिल अपनी जगह पर रहने देता है क्योंकि इजिप्ट की मान्यता के अनुसार दिल में रूह बसती है। उसके शरीर के खाली हिस्सों को वो मसालों से भर देता है और सारे शरीर पर केमिकल की परत लगा देता है और उसकी लाश पर नमक लगाकर सूखाने के लिए रख देता है। जब लाश सूख जाती है तो उसे वो सफ़ेद लिनेन की पट्टी से बांध देता है। और उसके सिर को वो उसके दुपट्टे से ढक देता है।
इस काम में उसे लगभग 10 दिन लग जाते हैं। यूँ बार-बार बेसमेंट में जाते देख रामदीन को शक होता है लेकिन वो चुप रहता है।
रूपाली की ममी को वो शीशे वाली अलमारी में रख देता है जहाँ उसके माँ-बाप की ममी होती है। रूपाली को बाय कहकर वो फिर से कॉलेज चला जाता है ताकि किसी को शक ना हो।
उधर रामदीन जब रोशन के घर से जाने के बाद बेसमेंट में जाने की सोचता है। उसे बेसमेंट में जाने की मनाही होती है लेकिन फिर भी वो बेसमेंट में जाता है। वहाँ ताला लगा होता है। बहुत कोशिश करने के बाद वो ताला खोलने में कामयाब हो जाता है। लेकिन जैसे ही अंदर जाता है उसे बड़ी ही गन्दी बदबू आती है। सामने शीशे की अलमारी में 3 लाशें होती है। रूपाली का दुपट्टा देखकर वो समझ जाता है यह रूपाली की लाश है, लेकिन जब वो बाकि दो लाशों को देखता है तो उसका सिर चकरा जाता है क्योंकि एक लाश पर रोशन के पापा की सोने की घड़ी चमक रही होती है और दूसरी लाश पर मंगलसूत्र।
रामदीन समझ जाता है बाकी 2 लाशें उसके मालिक मालकिन की है। इसका मतलब रोशन ने सबसे झूठ बोला था कि उसके माँ-बाप की कार का एक्सीडेंट हो गया था और कार पहाड़ी से नीचे गिरने के कारण उनकी लाश नहीं मिली।
वो अपना सिर पकड़ लेता है…..रोशन बाबा सामान्य नहीं है ये तो नीरा पागल है।
वो बेसमेंट का ताला बंद करके बाहर आ जाता है और पुलिस को फोन करके सब सच बता देता है। पुलिस रोशन को लेकर उसके घर पहुँचती है और वहां से तीनों ममीज को बरामद कर उसे पुलिस स्टेशन ले जाती है, जहाँ रामदीन अपनी गवाही देता है।
रोशन को अक्सर रात के समय रूपाली से और अपने माता पिता के साथ अकेले में बात करते हुए बाकि कैदियों ने और पुलिस ने कई बार देखा और सुना था। उसकी मानसिक हालत को देखते हुए उसे उम्र कैद की सजा होती है और इलाज के लिए उसे मनोरोगियों के अस्पताल भेज दिया जाता है।
❤सोनिया जाधव
fiza Tanvi
30-Jan-2022 04:29 PM
Bahut khoob
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Shrishti pandey
18-Jan-2022 09:24 AM
Nice
Reply
Seema Priyadarshini sahay
17-Jan-2022 06:36 PM
बहुत ही बेहतरीन रचना
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